यह ब्लॉग पोस्ट डिजिटल करेंसी के रूप में सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) और Cryptocurrency के बीच के अंतर को समझाने के लिए है। इसमें बताया गया है कि कैसे CBDC सरकारी समर्थन वाली डिजिटल करेंसी है, जो पारंपरिक मुद्रा का एक सुरक्षित और नियंत्रित डिजिटल रूप है, जबकि क्रिप्टोकरेंसी बिना किसी सरकारी नियंत्रण के संचालित होती है। इसके अलावा, CBDC के फायदे, उपयोग के तरीके, और इसके आर्थिक प्रभाव पर भी चर्चा की गई है।
UPI के द्वारा पेमेंट करने के लिए एक निश्चित मर्यादा है। आप Digital Wallet में पैसे रख सको उसकीभी एक मर्यादा है। बल्कि CBDC में ऐसी कोई मर्यादा रखने में नही आई। केवल एक मुद्दा ऐसा है की आप दो लाख रूपये से ज्यादा मूल्य का व्यवहार करोगे तो Income Tax की दृष्टि में उसकी जानकारी देना जरूरी होता है। सरकारने रोकड व्यवहारो के लिए भी दो लाख रूपी की मर्यादा निश्चित की गाय है।
हमने होलसेल और Retail CBDC ऐसे दो शब्दके बरेमे जाना है। पैसे की लेवड देवड तो हरेक स्तर पर होती है। इसमें बड़ी बड़ी कंपनिया, वेपारी सनस्थाओ, नानांकीय संस्थाएं इत्यादि का समावेश होता है। एक या दूसरी व्यक्ति पेमेंट करे उसको Retail CBDC लागू होता है। बड़ी बड़ी नानांकिय संस्थाओं के व्यवहारों के लिए होलसेल सीबीडीसी का उपयोग होता है।
Wholesale CBDC ज्यादातर नानाकीय संस्थाओं ही उपयोग में लेते है। इसका प्रयोग पहले शुरू हुआ था। अभी रिटेल CBDC का प्रयोग शुरू करने में आया है। होलसेल में भी निर्धारित नानांकीय सस्थाओंने अभी के समय में CBDC को प्रयोजन किया गया है।
Wholesale CBDC का उपयोग बैंक सरकारी टिक्योरिटीज की लेवड़ देवड के लिए, बैंक और बैंक के बीच की लेवड देवड के लिए करनें में आता है। अभी के समय में UPI के द्वारा व्यक्ति जो व्यवहार करता है उसका दिन के अंत में बैंक के द्वारा सेटलमेंट होता है। अभी के समय बैंक यही काम Wholesale CBDC के द्वारा कर पाएगा। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि इसमें व्यवहार का खर्च घटेगा, बैंक को Collateral देना नही पढ़ेगा और मूडी की प्रवाहिता में अवरोध नही आयेगा।
E-Rupee को शुरू करनें की जरुरियत क्यों थी?
इतने बड़े पाए पर कोई वस्तु शुरू हो रही हो तो उसके पीछे कोई प्रयोजन होता ही है। वर्तमान समयमें Blockchain Technology बहोत तेज़ी से आगे बढ़ रही है।
भारतने एक ट्रिलियन डॉलर का डिजिटल अर्थतंत्र बनानेकी दृष्टिमें CBDC मतलब की E-Rupee का इजात किया है। भारत Digital Payment के क्षेत्रमें विश्वभरमें अग्रणी है। अपने यहां UPI के द्वारा होते व्यवहारों की संख्या और मूल्य की दृष्टि में नानाकिय वर्ष में 90% से 120% की वृद्धि हुई है। सीबीडीसी पारदर्शक रीति से कम करनेकी व्यवस्था है। इसमें सरकारें ने चलनी नोटो और सिक्के छापने के लिए करनें में आता खर्च बच जायेगा। जितनी कम नॉट और सिक्के छपेंगे उतना ज्यादा बचत होगा।
CBDC और Cryptocurrency के बीच का अंतर
Cryptocurrency की तरह CBDC भी ब्लोकचेन टेक्नोलॉजी की मदद से तैयार की गई करंसी है। पर दोनो के बीच बहोत ज्यादा अंतर है। Cryptocurrency को सरकार का समर्थन नहीं है, जबकि CBDC को सरकार का पूरेपुरा समर्थन और सहकार है। रिजर्व बैंक ने ही उसका लॉन्चिंग किया है। Cryptocurrency को परंपरागत चलन का स्वरूप देने आया नही, परंतु सीबीडीसी को परंपरागत चलन का डिजिटल स्वरूप है।
E-Rupee का मूल्य धारक को देने की लिए रिजर्व बैंक के गवर्नर का वचन होता है, जबकि Cryptocurrency का मूल्य में सतत बढ़त और कमी होती रहती है। Cryptocurrency का कोई इस्युअर नही होता, जबकि CBDC को रिजर्व बैंक के द्वारा इश्यू किया गया है। हकीकत ये है की रिजर्व बैंक ने तो Cryptocurrency पर प्रतिबंध डालनेकी मांग की थी। रिजर्व बैंक के गवर्नर बहोत बार कह चुके है की क्रिप्टोकरंसी से नानकीय स्थिरता जोखमाती है। क्रिप्टोकरंसी पर किसका भी नियमन नही है, जबकि CBDC संपूर्ण से रिजर्व बैंक के नियम के तहत काम करता है।
E-Rupee (CBDC) के फायदे
हमने देखा की CBDC से चलनी सिक्के और नोटो की छापने का खर्च घटेगा। इस उपरांत बैंको के बीच का व्यवहार का खर्च भी घटेगा। चलनी नॉट और सिक्के छापने उपरांत उसको एक जगह से दूसरी जगह ले जानेका खर्च भी होता है।
CBDC का व्यवहार संपूर्णरूप से बैंको की मध्यस्था के बिना होता है। इसलिए इंटरबैंक सेटलमेंट का कामकाज करनेकी जरूरियात रहती नही। इसलिए इस कामकाज का खर्च भी घटता है।
CBDC ऑनलाइन या ऑफलाइन?
E-Rupee ऑफलाइन भी चलेगा ऐसा अभितक रिजर्व बेंकने स्पष्ट कहा नही है। ऑफलाइन व्यवहार शक्य बनेगा तो CBDC का व्यवहार कम या नहीवत इंटरनेट कनेक्टिविटी से हो पाएगा। जब की, रिजर्व बैंक के लगता है की ऑफलाइन व्यवहार करनें में डबल स्पेंडिंग की समस्या रहेगी। "डबल स्पेंडिंग" मतलब एक बार चलन का उपयोग हो जाने के बाद जब तक देनेवाले के खातेमें से बाद नही होता तब तक उसका फिरसे उपयोग होना जोखम है। टेक्निकली देखे तो CBDC का कामकाज ऑफलाइन हो सकता है।